लेखनी प्रतियोगिता -15-Jun-2022... मेरी माँ..
काश वो शाम फिर से आ जाए..
मम्मी की गोदी में सिर रखकर... ।
कुछ पल सुकून से सो सकूँ..
काश वो शाम फिर से आए..।।
बहुत अकेली पड़ गई हूँ माँ..
अकेले चलते थक गई हूँ माँ..।
एक बार तो आकर देख ले..
काश वो शाम फिर से आए..।।
जिंदगी की मुश्किलों से..
लड़ते लड़ते...।
अपनो के साथ होतें हुए भी...
बहुत तन्हा हो चुकी हूँ..
काश वो शाम फिर से आए..।।
वो मेरा अक्सर तुम्हारी गोदी में सिर रखना..
वो तुम्हारें हाथों का मेरे बालों में घुमना.. ।
वो उंगलियाँ.. वो किस्से.. वो अहसास..
सब के लिए तरस रहीं हूँ माँ...
काश वो शाम फिर से आए..।।
वो तुम्हारी कहानियाँ.. वो लोरियां..
वो गा गाकर हमें हर बात समझाना.. ।
वो आवाज सुनने को तड़प रहीं हूँ माँ..
काश वो शाम फिर से आए..।।
जानती हूँ मम्मी... आप कभी मेरे पास वापस नहीं आ सकतें... । लेकिन ये दिल हैं कि सब जानते हुए भी कुछ मानता ही नहीं..।
I miss you so much
Diya Jethwani
16-Jun-2022 06:50 PM
Thank you all☺
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Dr. Arpita Agrawal
16-Jun-2022 01:09 PM
Nice
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Swati chourasia
16-Jun-2022 10:51 AM
बहुत ही सुंदर रचना हृदयस्पर्शी 👌
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